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पिता

पिता

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एक वृक्ष की तरह होते हैं पिता

अपनी अभिलाषाओं को दबाकर

बेटे-बेटियों की खुशियां चाहते हैं पिता।


एक पिता का कुटुम्ब ही उसका

संसार होता है और

उसी संसार में अपना प्रेम

समर्पित कर देते हैं पिता।

इसलिए तो देवतुल्य होते हैं पिता।


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