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Asha Jaisinghani

Inspirational

4  

Asha Jaisinghani

Inspirational

पिता

पिता

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पिता ,तुम पिता हो,पिता ही रहना

कभी मां मत बनना

तुम ही हो 

जिसने ,परिवार के लिए

खीचीं लक्ष्मणरेखा

वर्ना मां का  “सह्रदय”

तो ,हर सीमा 

लाँघने की इजाजत,

दे ,देता है

पिता तुम पिता हो ,पिता ही रहना

हर छोटी - बड़ी बात पर 

मां के कंधो पर ,रोना -2

अक्सर कमजोर ,बना देता है

तुम पहाड़ हो

चट्टान हो

जो डटकर 

मुकाबला ,करना सिखाता है

पिता तुम पिता हो ,पिता ही रहना .....

रंग, चाहे हो -2

खिले -खिले

या हो ,काले -काले

तुममें ,हुनर है

नई तस्वीर ,

उकेरने की

पिता तुम पिता हो ,पिता ही रहना .....

तुम न होते तो -2

पत्ता -पत्ता 

बिखर जाता

तुम पेड़ हो

घर के आँगन का

पिता तुम पिता हो 

पिता ही रहना..….

पकड़ती है वो चोच से

तो वो

उड़ना तुम सिखाते हो 

पिता तुम पिता ,पिता ही रहना

कभी ,माँ , मत बनना

पिता.......



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