पीपल की छाँव
पीपल की छाँव


याद आता है बहुत वो गांव
जून की छुटियों में मम्मी
संग जाते थे
जहाँ चौड़ा सा आँगन था
एक छोटा सा दलीचा था
वहां बैठी दादी करती थी
सबकी समस्या का समाधान
वो पीपल की छाँव,
वो इंजन का पानी
चाची ने बनायी पानी के
हाथ की रोटी
मिर्च -धनिये की चटनी
और छाछ -गुड़ का स्वाद
वो बड़े नीम पर पड़े झूले
कभी काय -पत्ता,कभी लाल
परी -नीली परी
कभी पोशम्पा -भई -पोशम्पा
वो कोल्हू के गुड़ की महक
गन्ने की पोरी
गिन -गिन खाना
सांझ होते ही सबका
इकट्ठा होना
बच्चों का, बड़ो को
दिन का हाल सुनाना
वो नीम की दातुन ,
जामुन का पेड़
वो सरसों के खेत ,
वो मिट्टी की खुशबु
वो सादगी, वो भोलापन
याद बहुत आता है वो गाँव