STORYMIRROR

dr vandna Sharma

Abstract

5.0  

dr vandna Sharma

Abstract

पीपल की छाँव

पीपल की छाँव

1 min
427


याद आता है बहुत वो गांव 

जून की छुटियों में मम्मी

संग जाते थे 

जहाँ चौड़ा सा आँगन था 

एक छोटा सा दलीचा था 

वहां बैठी दादी करती थी 

सबकी समस्या का समाधान

 

वो पीपल की छाँव,

वो इंजन का पानी 

चाची ने बनायी पानी के

हाथ की रोटी 

मिर्च -धनिये की चटनी

और छाछ -गुड़ का स्वाद

 

वो बड़े नीम पर पड़े झूले 

कभी काय -पत्ता,कभी लाल

परी -नीली परी 

कभी पोशम्पा -भई -पोशम्पा 

वो कोल्हू के गुड़ की महक 


गन्ने की पोरी

गिन -गिन खाना 

सांझ होते ही सबका

इकट्ठा होना 

बच्चों का, बड़ो को

दिन का हाल सुनाना 

वो नीम की दातुन ,

जामुन का पेड़ 


वो सरसों के खेत ,

वो मिट्टी की खुशबु 

वो सादगी, वो भोलापन 

याद बहुत आता है वो गाँव 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract