फूलों का राजा
फूलों का राजा
बहुबिध
रंगछटा ,
आसन पें
बिछा काँटा ॥१॥।
मधुरिम
कोमलता,
अर्धश्वेत
लालिमता॥२॥
नारेश्वर
अर्धनटी,
खिल जाय
मधुवटी॥३॥
एकत्रित
शिव शक्ति ,
पुर्णसृष्टि
मोदभक्ति॥४॥
सिखलाय
जीवन का,
सत्य यहीं
है जीव का॥५॥
काँटों पर
चलकर,
गुलाब सा
तू निखर॥६॥
प्रेमभेट
बनके जी,
जीत हार
पर सजी॥७॥
देह द्विज
एक प्राण,
एकदुजें
की हो जान॥८॥
प्रसन्नता
दे नयन,
महकायें
तनमन ॥९॥
यें सबका
सदा प्यारा,
राजा माने
जग सारा॥१०॥
जयमाला
माल्यार्पण,
तो कभी यें
शवार्पण॥११॥
