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Hardik Mahajan Hardik

Abstract

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Hardik Mahajan Hardik

Abstract

फिर

फिर

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फिर एक नये रंग मंच पर,

बनती बिखरती दुनिया,


क़लम स्याह ओर पन्नों में

सिमट रहे जज़्बात।


फिर एक नयीं सोच के

साथ उद्देश्य होगा,


जीवन जिसका हर पल

उदय जीवन होगा।


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