फिर
फिर
फिर एक नये रंग मंच पर,
बनती बिखरती दुनिया,
क़लम स्याह ओर पन्नों में
सिमट रहे जज़्बात।
फिर एक नयीं सोच के
साथ उद्देश्य होगा,
जीवन जिसका हर पल
उदय जीवन होगा।
फिर एक नये रंग मंच पर,
बनती बिखरती दुनिया,
क़लम स्याह ओर पन्नों में
सिमट रहे जज़्बात।
फिर एक नयीं सोच के
साथ उद्देश्य होगा,
जीवन जिसका हर पल
उदय जीवन होगा।