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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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फिर कौन युद्ध करेगा

फिर कौन युद्ध करेगा

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आप सबको याद है

आज का दिन कुछ खास है,

पर इतना भी नहीं कि याद रखा जाये

बधाइयां, शुभकामनाएं देकर

हर्षोल्लास से जश्न मनाया जाये

रुस यूक्रेन में शुभारंभ की हम

आपको क्या बताएं 


दो देशों कहें या दो सनकी लोगों की

सनक की गाथा गाएँ,

या कुछ देश और लोगों की

विनाशकारी सोच पर आंसू बहाएं।

चौबीस फरवरी बाइस से शुरु हुआ युद्ध

आज एक वर्ष पूरे कर गया।


पर रुस यूक्रेन की बात क्या करुं

युद्ध और टकराव रोकने के लिए

गंभीर प्रयत्न भी आप या हमनें किया भी तो नहीं ।

सब अपनी अपनी सुविधा से

युद्ध का आंकलन कर रहे हैं

युद्ध रुके इसके लिए तनिक भी 

न गंभीर प्रयत्न हो रहे हैं।


लोग मर रहे हैं, विनाश का तांडव चल रहा है,

गोला, बारुद, टैंक, राकेट सब तबाह कर रहे हैं,

दोनों झुकने रुकने को तैयार नहीं हैं

बिना शर्त बातचीत को तैयार नहीं हैं

सिर्फ हवा में बातचीत का प्रस्ताव दे रहे हैं

जीत हमारी होगी इसका दंभ भी भर रहे हैं।


अपनी जीत और दूसरे की बर्बादी की

भविष्यवाणियां भी गर्व से कर रहे हैं।

दोनों लंबे समय तक देश दुनिया की बर्बादी की

पृष्ठभूमि बड़ी शिद्दत से तैयार कर रहे हैं ।

पर्यावरण, शिक्षा, चिकित्सा, संसाधन ही नहीं

राष्ट्र को खोखला और बर्बाद कर रहे हैं।


समझ में नहीं आता दोनों एक दूसरे देश के

विनाश पर इतने

आमादा क्यों हैं ?

आखिर बचेगा क्या इस जिद के परिणामस्वरूप

जो किसी का कम या ज्यादा होगा 

भला ऐसा मिलने वाला क्या है

जिसका बड़ा फायदा उन्हें होगा।


आज जरूरत है विश्व के सब समर्थ देश

मिलकर ईमानदार प्रयास करें,

जैसे भी हो सके युद्ध विराम कराएं।

किसी की सनक को दुनिया के विनाश की 

खुली छूट न मिलने पाए।

वरना ऐसी नजीरें आगे भी दोहराई जायेगी

हर ओर विनाश की कहानी 

जब तब ही यूं ही दोहराई जाने लगेंगी।

फिर विकास की बात कौन और क्यों करेगा ?


जब सारा संसाधन युद्ध में ही लग जायेगा।

अब सारे विश्व को जागने की जरूरत है

विनाश की मजबूत नींव पड़े

उसे समय पूर्व रोकने की जरुरत है।

लोग रहेंगे तब देश और देश की सीमाएं होंगी

वरना किसे कुछ भी जरूरत ही न होगी।


दुनियां वीरान श्मशान सी दिख रही होगी।

जिसे देखने के लिए सिर्फ़

अदृश्य शक्ति, सत्ता में ही होगी।

अब फैसला जिम्मेदारों को लेना होगा, 

दुनिया बचाने का मिलकर प्रबंध करना होगा।

वरना दो देशों के बीच अक्सर

ऐसे ही युद्ध का तांडव होगा,

धरती पर विनाश का रोज रोज नृत्य होगा

और सब कुछ खत्म हो जायेगा।


जब न लोग रहेंगे, न देश न संसाधन होंगे

फिर कौन किसलिए और किसके लिए, युद्ध करेगा ?

जब कुछ भी न शेष बचेगा,

हमारा आपका इतिहास भला तब कौन पढ़ेगा ? 


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