STORYMIRROR

Vaibhav Soni

Action Inspirational Thriller

4  

Vaibhav Soni

Action Inspirational Thriller

फिर एक सवेरा आया

फिर एक सवेरा आया

1 min
262

फिर एक सवेरा आया,

अभी जरा संभले ही थे कि लहरो का साया फिर मंडराया,

कश्ती में वो सक्ष अकेला था,

जो तूफान को ललकार रहा था,

जो आस लगाए बैठा था,

जो उम्मीद लगाए ठैरा था,

हार स्वीकार न थी उसे,

जीत पुकार रही थी उसे,

मगर लहरों के शोर में समझ न पाता,

किस दिशा को चुने,

और कहा था मंजिल का पता,

जुनून कुछ ऐसा था,

तूफान को रोक दिखलाना था,

मगर फिर शाम हुई, रात आई,

और संघर्ष में न कोई रुकावट आई,

सब कुछ करके, थका सा,

बेबस सा वो सक्ष,

बस थम गया,

और थम के ही उसने पाया,

तूफान को जो अपनाया,

बस बहता ही गया वो लहरों में,

फिर एक सवेरा आया,

 जो उसे किनारे तक छोड़ लाया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action