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Yamini Saini

Abstract

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Yamini Saini

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फ़ेहरिस्त

फ़ेहरिस्त

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सरे सरे क़लम की नोक

फट फट दौड़ रही हो मानो

सुबह घड़ी की सुई से जुस्तजू

तो शाम को कल की तैयारी की गुफ़्तगू।


ज़िंदगी भी भाग रही है मानो

फ़हरिस्त की चीज़ें छूट रही हो जानो

तेरे संग बैठ चाय की चुस्की ले पाऊँ

ऐसा मैं कैसे समय बचा पाऊँ।


रात के खाना मैं साथ खा पाऊँ

ऐसे मैं कैसे घड़ी रोक पाऊँ

फ़ेहरिस्त को मैं जो मैं पूरा करना चाहूँ

कुछ ऑफ़िस से समय मैं ज़रा चुरा पाऊँ।


सूरज से कुछ रोशनी मैं तेरे साथ जी पाऊँ

सोचता हूँ आज ये दीवार मैं लाँघ जाऊँ

तोड़ दूँ मैं ये बंधन कर डालूँ मैं अब मंथन

आ फ़ेहरिस्त हम पूरी करे।


अधूरी ख़्वाहिशें अब पूरी करे

हाथो को थाम मैं तेरे अपनी ज़िंदगी पूरी करूँ

अपनी मुस्कान को तेरे संग पूरी करूँ।


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