खास दोस्त
खास दोस्त
वह दोस्त है मेरे खास बेहद खास बेहद खास
जब मुसीबत की घड़ियाँ आये पाऊँ मैं उनको अपने पास।
आँखों में उनकी गहराई है, उनमें ही मेरी दुनिया समाई है
उनकी कठोर सख़्त हाथो की लकीरें
जिनमे उनकी मेहनत की खुशबू फकीरे।
केश उनके रेशमी से हवा में लहराते
विचारो में हमारे संस्कार उनके महकाते
सारे नाती पोते उन्हें चाहते।
क्योकि हमारे संग बच्चे वो बन जाते
जब भी मिलते है अपने बचपन के किस्से वो सुनाते हैं
बातों ही बातों में वो हमें खूब हँसाते हैं
साथ में पिज़्ज़ा और टिक्की वो खाते हैं
सबसे ज़यादा घर में मज़े वो करवाते हैं।
फ़ोन पर जब भी बात होती है
आवाज़ उनकी कानों में मीश्री सी घुल जाती है
वह दोस्त है मेरे बेहद खास.. हाँ बेहद खास
जब मुसीबत की घड़ियाँ आये पाऊँ मैं उनको अपने पास।
आँखों में उनकी सच्चाई है
उनमें ही मेरी दुनिया समाई है
जो बनाई समाज में अपने कर्मो से
सही राह की पग लकीरें।
हम रोज़ सीखते हैं उनसे ज़िंदगी की सही फकीरे
डाँट में भी उनकी बेशुमार प्यार है
गहरी बातों को मिनटों में समझाना ये उनका दुलार है
हाँ बोलते थोड़ा कम है।
बातों में उनकी होता सटीक रन है
पढ़ने वालों को भी यही संदेश जी
बनो ऐसी मज़बूत शख्सियत जैसे मेरे नाना जी।
