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Birendar Singh

Abstract

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Birendar Singh

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पहचान

पहचान

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तीन रंगों से बना तिरंगा, ये तिरंगा अपने वतन की है पहचान 

इस धरती के सिने से निकलता है सोना, जब हल चलाता है किसान।

शहीदों के लहू से, इस धरती का सिना रंगा है।

शहीदों की अमानत, अपना ये तिरंगा है।

गोर से देखो अपनी जमीं पर, अब तक है यारो क़दमों के निशान।

तीन रंगों से बना तिरंगा, ये तिरंगा अपने वतन की है पहचान।


खूबसूरत अपना ये वतन है, जैसे हो फूलों का चमन।

शहीदों की दुआ से अपने इस मुल्क में छाया है अमन।

धरती मां का अंदाज है, सबसे निराला।

जपते रहो इस जन्नत की माला।

भूखे को अन्न प्यासे को पानी, इस धरती का हमपर है जन्मों-जन्मों का अहसान।

तीन रंगों से बना तिरंगा, ये तिरंगा अपने वतन की है पहचान।

इस, धरती के सिने से निकलता है सोना जब हल चलाता है किसान।


हर घड़ी हर पल शहीदों का नाम, तुम रखना जुबां पर।

जरा भी आंच आने न पाए, अपनी इस धरती मां पर।

चलने न देना, कभी गुलामी का चरखा।

सदा यूंही बरसती रहे, ये आजादी की बरखा।

झुक पाए न कभी, दुश्मन के आगे ये हिम्मत का तूफ़ान।

तीन रंगों से बना तिरंगा, ये तिरंगा अपने वतन की है पहचान।

इस धरती के सिने से निकलता है सोना, जब हल चलाता है किसान।


धरती मां के आंचल में, सबका है सपना।

करो अच्छे कर्म, मेहनत का फल अपना-अपना।

खुशबू जिसकी सब याद करें, ईमानदारी के ऐसे गुलदस्ते बन जाओ।

बिन ढूंढे मिल जाए जो मंजिल हमको, कारीगरी के ऐसे रस्ते बन जाओ।

जान की बाजी लगाने से पीछे हटना नहीं, जान से प्यारी है वतन की शान।

तीन रंगों से बना तिरंगा, ये तिरंगा अपने वतन की है पहचान।

इस धरती के सिने से निकलता है सोना, जब हल चलाता है किसान।


देश भक्ति का जनून, तुम ख़तम होने न देना।

कभी तिरंगे पे तुम, सितम होने न देना।

दुश्मन की परछाई भी, दे सके न दस्तक।

सदा ऊंचा रहे, हिन्दुस्तानियों का मस्तक।

वतन की खुशी के लिए, हो जाना कुर्बान।

तीन रंगों से बना तिरंगा, ये तिरंगा अपने वतन की है पहचान।

इस धरती के सिने से निकलता है सोना, जब हल चलाता है किसान।


अंधेरे में चलाए जो मेहनत के तीर, होंसलों को वो बना लेते हैं खुवाईशों का प्रकाश। 

ढूंढ़ती रह जाती है मंजिल उसको,  

छू लेते हैं वो चांद-सितारे-आकाश।

मेहनत ने सबकी, जिंदगी संवारी है।

भारत के वासी, मेहनत के पुजारी हैं।

गुस्से को भी कर लेते हैं काबू, बस के प्यासे भारत के इंसान।

तीन रंगों से बना तिरंगा, ये तिरंगा अपने वतन की है पहचान।

इस धरती के सीने से निकलता है सोना, जब हल चलाता है किसान।


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