फ़ौजी
फ़ौजी
फिक्र मत कर मां
सरहद पर है खड़ा तेरा फ़ौजी।
लहू बहा कर भी
जीत ले आएगा तेरा फ़ौजी ।
खुद चल कर या कफ़न में लिपट कर
मगर जीत कर ही आएगा ये फ़ौजी।
बर्फीला पहाड़ हों या रेगिस्तान की गर्मी
पीछे हटने के लिये नहीं होता वो राज़ी।
रक्षा करनें अपने भारत मां की
लगाता है वो जान की बाजी ।
पूरा देश है उसका परिवार
करता बहुत त्योहार सरहद पर रहकर।
अपने देश के नाम जिंदगी की कुर्बान
मुसकुराते कहता है मैं हूँ एक फ़ौजी।
वो हे खडा सरहद पर
इसीलिए खुशहाल सोता हिन्दुस्तान हे ।
क्या पता लोगों को
सरहद पे हर महीने शहीद होता एक जवान हे।
किम्मत उस वर्दी कीं
आम लोग क्या कर पाएंगे ।
जो बेईमान हो अपने देश से
वो फ़ौजीयौ क्या समझ पाएंगे ।
करते हैं बातें फ़ौजियों पर
क्योंकि बातें करना है आसान।
त्याग करना पड़ता हैं पारिवारिक सुख
फ़ौजी बना नहीं है आसान।
कुछ लोगों के बोलने से
वोह सब को दोषी ठहराता नहीं ।
चाहे कुछ भी हो जाए
वो अपना काम कभी छोड़ता नहीं ।
दुआ करो उसके उम्र की
सरहद पे खडा है जो फ़ौजी ।
तुम्हारी सुरक्षा की खातिर जान देता है वो फ़ौजी
नहीं है वो बोलीवुड के कलाकार के तरह मन-म़ौजी ।
कहता हूं आखरी बार
एक बार जरुर सोचना ।
मैं तो जरुर बनना चाहता फ़ौजी
क्या तुम बन सकते हो फ़ौजी ।