फैशन एक कलंक
फैशन एक कलंक
फैशन की गुड़िया सी बनकर,
कितना सम्मान पायी हो।
तू श्रृंगारी बंदरिया बनकर,
लज्जाजनक स्थान बनाई हो।।
(1)
चरित्र बिगड़ता जाता है,
फैशन रूपी मलीनता में।
परिवार टूटता जाता है,
भाई भी रहता हीनता में।
माँ सोचती गलत ना हो जाए ,
पिता भी रहता चिंता में।
व्यक्तित्व निखरता जाता है,
सादगी और शालीनता में।
चरित्र गिराकर घाव लगाकर,
कौन सी खुशी तुम पाई हो।
फैशन की गुड़िया से बनकर,
लज्जाजनक स्थान बनाई हो।।
(2)
फैशन तेरी पॉपुलर बीमारी,
जिसमें फँसे हर क्वालिटी की नारी।
मैचिंग ब्लाउज मैचिंग साड़ी,
आउट ऑफ द फैशन जारी।
लीपे पोते चेहरे को देखो,
लगते सभी जोकर है।
फैशन ने मुझे आकर बताया
यह सभी मेरे नौकर है।
छोटे छोटे कपड़ों में ,
भारतीय संस्कृति बेच खाई हो।
फैशन गुड़िया सी बनकर कर,
लज्जाजनक स्थान बनाई हो।।
(3)
अरे फिल्मकारों ,साहित्यकारों,
तुम भी कर्णधारी इंसान हो।
चित्रांकन ऐसा करो,
जिसमें जननी का सम्मान हो।
चकाचौंध को सब कुछ बताकर,
अब बन बैठे अनजान हो।
नारी को कलंकित करने वाले,
कितने गंदे शैतान हो।
ऐसे शैतान का साथ निभाकर,
अपनी ही इज्जत गँवाई हो।
फैशन की गुड़िया सी बनकर,
लज्जाजनक स्थान बनाई हो।।
(4)
नैतिक पतन का ना कारण बनो,
सांस्कृतिक प्रतिभा का न मारन करो ।
उत्तेजक भड़कीले वस्त्रों में बहनों,
शूर्पणखा का ,ना उदाहरण बनो।
भोग विलासी दासी बनकर ,
पग अंधकार में दौड़ा दिए।
अधोगामी की कर सफर तू,
यह कैसी आग लगा दिए।
शरीर सजा आकर्षक बनाकर,
क्यों अपमान कराई हो ।
फैशन की गुड़िया से बनकर,
लज्जाजनक स्थान बनाई हो।।
(5)
कुल मर्यादा का ध्यान रखेगी,
तितलियों सी ना सजाओ।
भविष्य में बेटी बच सकेगी,
,तो ढंग से कपड़ा पहनाओ।
सादाजीवन हो सुंदर गहना,
विपत्ति से लड़ना सिखाओ।
भारत माता की सेवा करना,
जीना और मरना सिखाओ।
नायिका की रोल निभाकर,
अपराधी प्रवृत्ति तुम बढ़ाई हो।
दुनिया की चकाचौंध में,
अपनी कर्तव्य भुलाई हो।
(6)
वात्सल्य ह्रदय में स्नेहिल निर्झर,
बहाकर देखो करुणा की धारा।
पवित्रता संग सेवा समर्पण,
हो शाश्वत सौंदर्य तुम्हारा।
सजल श्रद्धा सौभाग्यवती तू,
नवयुग की तू गहना।
शुभभावना और शुभकामना तू,
पवित्रता से रहना।
विश्व संस्कृति की ज्ञानदायिनी,
माँ शारदा कहाई हो।
विश्व संस्कृति की जन्मदात्री,
वसुंधरा कहलाई हो।।