नज़रंदाज़ कर दोगे क्या?
नज़रंदाज़ कर दोगे क्या?
मैं मिलूं अगर उस पार तो मुझे नज़र-अंदाज़ कर दोगे क्या?
किताब-इ-ज़िंदगी में मोहब्बत के पन्नो को राज़ कर दोगे क्या?
तुम्हारे जिस्म में जो कैद है खुशबुएँ मेरी,
मेरे दिल-इ-गुलाम के साथ साथ उसे भी आज़ाद कर दोगे क्या?
तुम्हे मेरा ख़याल तो आता होगा, कुछ सवाल तो लाता होगा?
मुझे उस ख़याल में भी बर्बाद कर दोगे क्या,
मैं मिलूं अगर उस पार तो मुझे नज़र अंदाज़ कर दोगे क्या?