नज़र से गिरा हीं नहीं
नज़र से गिरा हीं नहीं
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वो मुझे मिला और मुझसे मिला हीं नहीं
इस बात का मुझे अब कोई गिला भी नहीं
एक चेहरा था जो था कभी जाँ से अज़ीज़
इक अरसा हुआ देखे उसे कहीं दिखा हीं नहीं
इश्क़ उसका खेल था मैं उस खेल में हार गया
मैं तो गिरा पर वो मेरी नज़र से गिरा हीं नहीं
वे लोग खुशनसीब हैं जिन्हें मोहब्बत रास आई
मुझे तो इसमें दर्द के सिवा कुछ मिला हीं नहीं।