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Nitu Mathur

Inspirational

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Nitu Mathur

Inspirational

नया सृजन

नया सृजन

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बन के पवन उपवन सारा महकाऊ़ं

सतरंगी सपनों सी गगन पे छा जाऊं,


बहती नदियां की धार सी, शुष्क मरू को नम करूं

ना रुकूं ना झुकूं मस्त मल्हार सी झूम जाऊं,


मैं मोम सी नरम कभी, कभी तेज तलवार

हर साथी को गले लगाऊं, दुश्मन को आर पार,


सरोजिनी सी कलम मेरी, रानी झांसी सी तलवार

हर शस्त्र मेरा तीव्र ,तीक्ष्ण जिसका प्रमाण ये संसार


आओ करें सृजन एक नए संसार का जिसमें नारी सर्वोपरि, 

देश हित के सम्मान में हर मानव के साथ खड़ी।


           


 



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