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Ganesh Chandra kestwal

Inspirational

4.5  

Ganesh Chandra kestwal

Inspirational

नवरात्र पर्व

नवरात्र पर्व

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उदित भानु समान सुकांति है।

तव कृपा जनती मन शांति है।

नमन वंदन चित्त सदा करे। 

मुदित हो जननी विपदा हरे॥१॥


नव-निशा शुभ पर्व सुहा रहा।

अमल पूजन भी नित हो रहा। 

प्रथम शैलसुता वर दे रही।

सकल अर्पित पूजन ले रही॥२॥ 


वसन श्वेत सदा वह धारती।

सतत ब्रह्म स्वभाव विचारती। 

उर अशेष पवित्र सुसार दे।

भव निमग्न हुआ अब तार दे॥३॥


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