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Anushka Sharma

Abstract

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Anushka Sharma

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नमन

नमन

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55


मैं पग पर पग रख चल रहा हूँ,

मैं नई उमंगों की तरंगों सूर्योदय देख रहा हूँ,

मैं बड़ी आस से चेष्टाओं जला रहा हूँ,

मैं कर्मठता की रस्सी से विजय को

निकट खींच रहा हूँ,

मैं त्रुटियों का भोग भी सह रहा हूँ,

मैं परिवर्तन करने को भी कह रहा हूँ,

मैं ऐब की छोर तक पहुँचना नहीं चाहता,

मैं इसीलिए जहाज़ अपना थामें रखना चाहता हूँ,

मैं यात्राओं के प्याले में स्नेह का मिश्रण करना जानता हूँ,

मैं यादों की तस्वीर से शोक को हटाता हूँ,

मैं राम के दर पर अल्लाहताला को पुकारता हूँ,

मैं कटे परों को रंगीन कर नव रूप प्रदान करता हूँ,

मैं औरों का मान रखकर अपना मान रखता हूँ,

मैं उन्मत्त हूँ हास्य की घड़ी में,

मैं सब्र का प्रतीक हूँ रुदन की छड़ी में,

मैं स्वतंत्र विचारधाराएं बहाते हूँ,

सो सीखता हूँ, सिखाता हूँ,

मैं पग पर पग रख चल रहा हूँ,

मैं काँटों पर चलकर भी जीवन को,

बहते रक्त का तिलक लगा रहा हूँ।

मैं ईश का बंदा

जीवन के इस सुरम्य वरदान में

घुलता जा रहा हूँ,

ये वाटिका-रूपी वर मेरा नमन स्वीकार करे

जिसका एक पुष्प बन मैं भी खिल रहा हूँ।


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