नज़रें
नज़रें
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नज़रें झुकी हुई थीं, आंखें गढ्ढे में धंसी हुई थीं,
नैनों में ताककर देखा, अतीत की सूरत बसी हुई थी।
अपनों ने साथ छोड़ दिया जब वृद्ध अमुक हुए,
व्यतीत का आंगन था, तस्वीर ज़ेहन में रसी हुई थी।