तुम्हारा हाल
तुम्हारा हाल
अमुक तुम्हारे नखरों की कहानी लिख रहा हूं,
अदाओं से जो बोलते हो, वो जुबानी लिख रहा हूं.....
कितनी हया और मासूमियत है हर अदा में जो,
साथ गुजारे वक्त में घटित, निशानी लिख रहा हूं.....
काश नापने कोई बड़ा पैमाना होता दरमियान,
तूने रखा ज़ेहन में मुझे, सब पैमानी लिख रहा हूं.....
अमुक तुम्हारे नखरों की कहानी लिख रहा हूं,
अदाओं से जो बोलते हो, वो जुबानी लिख रहा हूं.....