STORYMIRROR

अमर दयाल सिंह

Action

4  

अमर दयाल सिंह

Action

निर्णय

निर्णय

1 min
288

भगवान क्यों चाहे जय पराजय ?

भगवान को जीत हार से क्या ?

भगवान को बचा शेष क्या पाना ?

भगवान को किसी परिणाम से क्या ?


पर हे मानव इस जीवन समर में

तुझे द्वंद लड़ना ही होगा

बहु विधि इस द्वैत जगत में

तुझे निर्णय लेना ही होगा।


तू बलशाली अति विशेष है

सोच विचार कर सकता है

बुद्धि अनुभव की कसौटी पर

तथ्यों को परख सकता है


फिर डरता क्यों निर्णय लेने से ?

तटस्थ बने क्यों खड़ा है ?

एक पक्ष तो चुनना ही होगा

बैठ साहिल कब मंजिल मिला है ?


जीवन पथ पर चौराहे बड़े

कब तक रहेगा अनिर्णत खड़े ?

कर्म हाथ बस दिए रचयिता

फिर परिणाम की करता क्यों चिंता ?


तेरे हाथ बस करते जाना

फिर क्या हो बस उसने जाना

सही गलत सब बदलता रहता

काल क्षेत्र पर निर्भर करता

गर जीना तो बढ़ना ही होगा


फिर फैसला करना ही होगा

निर्णय में देरी तटस्थ रहा जोई

महादोष इस सम नहीं कोई

गलत निर्णय दोष नहीं भारी

अनिर्णत तटस्थ महाहत्यारी।


बुद्धि विवेक को बना हथियार

चिंता भय का कर संहार

फिर ले निर्णय जो लगे सर्वोत्तम

पूरे वजूद से फिर कर कार्यान्वयन


जब तू समग्रता से कार्य करता है

साक्षात ईश्वर फिर उतर आता है

फिर परिणाम की चिंता क्या ?

फिर कैसा भय संशय ?

फिर जो हो सबसे सुंदर

अति आनंद फिर सब मंगलमय।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action