निर्भया हूँ मैं
निर्भया हूँ मैं
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
बाबा की लाडली, माँ का सहारा, पूरे परिवार की जान थी,
उस रात कुछ ऐसा होने वाला था जिससे वो भी अंजान थी
चीखी होगी, चिल्लाई होगी, बहुत रोई होगी,और
बेटी को इस हाल में देखकर कैसे वो बूढ़ी आँखें सोई होगी
जिसे बड़े नाज़ों से पाला आखिर कैसे उसकी अर्थी ऊठाई होगी,
दुख़ का ये मंज़र देखकर तो ऊपरवाले की भी आँखें भर आई होगी
किसी की बहन की इज़्ज़त से खेलकर क्या खूब मर्दानगी दिखाई है,
पर क्या एक पल के लिये भी ये खयाल नहीं आया की तू भी किसी का भाई है
दिल बहलाने का तरीका, शोषण करने का खिलौना,आखिर क्या हूँ मैं ?
ये व्यवस्था जिसे आजतक न्याय ना दे सकी, वही निर्भया हूँ मैं !