नींबू महाराज
नींबू महाराज
निंबुदा ओ निंबुडा,
ये क्या हो गया है रे,
माध्यम वर्गी से तुम तो ऊंच कोटि के,
बन गए हो रे।
भाव तुम्हारा है (३००) तीन सौ पार,
तुमको खरीदना जैसे हो गया है दुश्वार,
बन के रह गए हो लाखों के सपने तुम,
जिसके घर भी रहते हो — हो जैसे कोई महाराज तुम।
फायदे तुम्हारे है अनेक,
लेकिन तुमको देखना जैसे हो गया हो मुस्किल,
तुम में है विटामिन सी की ताकत,
क्यू निकलते हो हमारे विटामिन एम की ताकत।
आज पियूष बाबोसा गया सब्जी बाजार,
देख के तुमको उसको हो गया तुमसे प्यार,
सुनके दाम तुम्हारा,
वो तो हो गया चकर से बेहाल।