STORYMIRROR

Aarti Sirsat

Abstract

4  

Aarti Sirsat

Abstract

"नई शुरुआत"

"नई शुरुआत"

1 min
344

चलों फिर से एक बार जिन्दगी से

नई मुलाकात करते है।

जमाने के सारे दर्दो को मिटाकर 

फिर से एक नई शुरुआत करते है।


बहुत रूलाया है इस जिन्दगी ने

आओं हम भी थोड़ा इसे परेशान करते है।

कभी हसाते है कभी रूलाते है,

आओं हम भी थोड़ा इसे हैरान करते है।


छाएँ है जो तन्हाई के बादल इस जीवन पर 

आओं हम इन्हें तन्हाई से आजाद करते।

रूठी सी है जो ऐ दुनिया हम से,

आओं फिर से इसे हम आबाद करते है।


निराशा के अंधेरे में हम फिर से,

आशाओं की एक नई लौ जलाते है।

छोड़कर गीले - शिकवे सभी से

जिन्दगी को फिर से हँसाते है।


चलों फिर से एक बार जिन्दगी

से नई मुलाकात करते है।

जमाने के सारे दर्दो को मिटाकर

फिर से एक नई शुरुआत करते हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract