Nazm
Nazm
आंखे हमेशा तेरे इंतज़ार में रहती है
तू कभी तो आएगी बस इसी आस मे रहती है।
पर मुझे पता है तू मेरे पास कभी आयेगी नहीं
ज़ख्म देख उन पर मरहम लगाएगी नहीं
कैसे तुझसे बेइंतिहा प्यार कर लिया
मैंने बिना सोचे खुद को बर्बाद कर दिया
अब सफ़र में मुसाफिरो को तेरे बारे बता हूं
तू बदनाम ना हो जाए इसी डर से तेरा नाम तक नहीं बता हूँ।
तूने कितने दिल तोड़े पता नहीं
तेरी मसूमिया के आगे तेरा चेहरा दिखा नहीं
अब जब तक जी रहे है जीते जीते मरते है
हमने बेवफ़ा से इश्क करा ये सोच खुद को पागल कहते हैं।