STORYMIRROR

Neelam Negi

Abstract

4  

Neelam Negi

Abstract

नव वधु आज तुम

नव वधु आज तुम

1 min
552

सुंदर सुशील चिर यौवना सी

नव जीवन नव गृह प्रवेश हुईं 

'नव वधु' आज तुम

मुदित मन हर्षित हुए सभी 

मनोहारी आस विश्वास लिए

इस अवसर पर फूले नहीं समाते 


शुभ स्वागत में प्रफुल्ल व तत्पर सब 

ज्ञान कौशल और व्यवहार विभूषित 

उस घर की अच्छी शिक्षा और

सुसंस्कारों की माटी फूलों से अब

तुम इस घर बगिया को महकाना....


बहुत ही स्नेहिल घर परिवार

और पीहर जैसे स्वजन मिले हैं

बेटी के सहज दुलार हठ से परे हो 

सरल सादगी से मोहकर उनको


मूल्य और परंपराओं की नींव पर 

घर अब एक आदर्श और भावभरा

महल बने, राह कठिन है फिर भी

ऐसे आचार, विधि विधान,शुद्ध ह्रदय 

निश्छल अपनाकर सबको तुम 

अपनी मर्यादा और शुभ धर्म निभाना...


आधुनिकता और प्रदर्शन के इस दौर में

सभ्य संस्कृति की संवाहक हो तुम

भोली सूरत,सौम्य सी चमक और

स्मित हास से अभिभूत हुए सब

ख़ुश रहो अटल सुहाग रहे तुम्हारा 


एक नई पीढ़ी की सूत्रधार बनी हो

पीहर के गौरव और इस घर के मान की 

हर विरासत को तुम और समृद्ध बनाना 

सुंदर,'बहुरानी' बनकर आई हो,

दिल जीतकर सबका

जल्दी से घर की प्यारी,'

बिटिया रानी ' बन जाना....।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract