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Neelam Negi

Others

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Neelam Negi

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" परदादी और परपोता "

" परदादी और परपोता "

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कभी सींचा था इस नन्हे बचपन के 

जन्मदाता 'वृक्ष' को

जिसे जीवन देकर पालते..जवानी में संभालते 

'वट वृक्ष' सा हो चला है अब ये बुढ़ापा 'परदादी' का ....

उसी पेड़ की 'नन्ही शाख' सा प्रेम और दुलार के 

गुणी फल और फूलों से लदा हुआ ' परपोता '

हिफाज़त में तत्पर हो अपने वट वृक्ष की जड़ों की 

कैसा सिखा रहा सयाना बन दादी को ये प्यारा 'बचपन'.....


उसी मासूम बुढ़ापे को जिसने अथक संघर्ष कर 

सबको जीवन का पाठ पढ़ा..जीना सिखलाया था 

उनकी दिखलाई शिक्षा संस्कारों की राह और आज 

बच्चे के सृजनशील कौशल का ये अनुपम मेल....


नहीं कुछ ये बस खेल हैं नियति और समय चक्र के..कि 

जीवन रथ के पहिये घूम उसी आधार बिंदु पर आ जाते हैं 

और बचपन जैसे निश्छल भोलेपन से 'बच्चे बूढ़े' दोनों

सच्चे स्नेही बाल सखा बन...एक दूजे संग रम जाते हैं.....

              

(कुछ दृश्य...कुछ पल हृदय को ऐसे स्पर्श कर जाते हैं कि अभिव्यक्ति को रोका ही नहीं जा सकता..नन्हा बचपन और लाचार बुढ़ापा..दो (चार) पीढ़ी का अंतराल और सीखने सिखाने के कौशल /तकनीकों का भी अंतर)


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