STORYMIRROR

vikash Kumar

Romance

3  

vikash Kumar

Romance

नैन तेरे

नैन तेरे

1 min
239

ना जाने तेरी बातों में,

क्यों अनजानी सी खामोशी थी,

नैनो पे आंसू ना थे लेकिन,

आवाज तेरी वो रुआंसी थी।


कुछ कहने को बेताब थे हम,

पर जुबां खामोश बैठी थी।

पास होके ना रोक सके हम,

ना जाने क्या मजबूरी थी।

 

नैनों पे आंसू ना थे लेकिन,

आवाज तेरी वो रुआंसी थी।

यो जाते तुम्हे देखकर,

ना जाने क्या बैचैनी थी।


सोच थी तुमसे जुड़ी,

पर आवाज में क्यूं मायूसी थी,

नैनों पे आंसू ना थे लेकिन,

आवाज तेरी वो रूआंसी थी।


Rate this content
Log in

More hindi poem from vikash Kumar

Similar hindi poem from Romance