नैन तेरे
नैन तेरे
ना जाने तेरी बातों में,
क्यों अनजानी सी खामोशी थी,
नैनो पे आंसू ना थे लेकिन,
आवाज तेरी वो रुआंसी थी।
कुछ कहने को बेताब थे हम,
पर जुबां खामोश बैठी थी।
पास होके ना रोक सके हम,
ना जाने क्या मजबूरी थी।
नैनों पे आंसू ना थे लेकिन,
आवाज तेरी वो रुआंसी थी।
यो जाते तुम्हे देखकर,
ना जाने क्या बैचैनी थी।
सोच थी तुमसे जुड़ी,
पर आवाज में क्यूं मायूसी थी,
नैनों पे आंसू ना थे लेकिन,
आवाज तेरी वो रूआंसी थी।

