नारी
नारी
उड़ो ! कि उड़ान में तुम्हारा
आसमाँ तक सिमट जाए
गरजो, कि धरती की
रूह भी सिहर जाए
मुल्क की शान हो तुम
घर का सम्मान हो तुम
लाड़ो से अम्मा तक
ख़ुद में एक पहचान हो तुम।
उड़ो ! कि उड़ान में तुम्हारा
आसमाँ तक सिमट जाए
गरजो, कि धरती की
रूह भी सिहर जाए
मुल्क की शान हो तुम
घर का सम्मान हो तुम
लाड़ो से अम्मा तक
ख़ुद में एक पहचान हो तुम।