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Sushmita Singh

Inspirational

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Sushmita Singh

Inspirational

नारी

नारी

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वो ढूंढ़ती है हर बार ,

तेरी नाराज़गी की वजह ,

और थक हार कर खुद बन जाती है,

वो गुनाहगार भी।

तेरी एक हँसी के लिए तो ,

बहा देती है वो ना जाने 

कितने आँसुओं की धार भी ,

ना मोती , ना मखमल , ना सोने का ताज ही

औरत की वफ़ा पर शक करने वालों 

उसकी मुहब्बत किसी चीज़ का मोहताज नहीं, 

माँ की ममता, बहन का प्यार , सहेली हो या संगिनी 

रखती है, हर रिश्ते की लाज

ना जाने कितने बार तोड़ देती है 

खुद के हाथो ही अपने ख्वाब भी 

उसकी वफ़ा पर शक करने वालो 

उसकी महानता किसी चीज़ की मोहताज नहीं ।।



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