इनको क्यों भूल जाते हैं हम?
इनको क्यों भूल जाते हैं हम?
स्कूल, टीचर और दोस्तों की यादें बहुत हैं
पर इनको क्यों भूल जाते हैं हम
है ये भी एक जरूरी हिस्सा इस जीवन का
है इनका भी स्थान अहम
कभी सोचा है हमने कितना काम करते है ये
कितनी ही मुश्किलों से अपना पेट भरते है ये
जरा सोचिये!! अगर कर सकें काम हम एक दिन का इनका सारा
तो बढ़ जाए पार्लरों का चक्कर हमारा
इन्सान तो खुद को हम शान से कहते हैं
पर इनके लिए इंसानियत को भूल जाते हैं
कभी सोचते हैं हम इन पर मुसीबतों के कितने बादल छाते हैं
रोज़ हमारी जिंदगी में ये हमारा कितना साथ निभाते हैं
सीख तो हम बड़े बड़ों से लेते हैं
पर इनको क्यो भूल जाते हैं
रोज़ हमारी जिंदगी में ये हमारा कितना साथ निभाते हैं
चिंता इन्हे हमारे स्वास्थ्य की है
इसीलिए सफाई करते हैं ये
फिर भी हम सबको लगता है, पैसों के लिए ही मरते हैं ये
कभी पूछा हमने इनसे ??
क्या कभी इनका दुख बाँटा है ??
अगर चूंक हो गई छोटी सी फिर भी जड़ दिया शब्दों का चाँटा है
सोचा नहीं हमने कभी, की ये भी इंसान हैं
इनका भी होता कोई माने-सम्मान है
जिंदगी में आगे बढ़ोगे तुम
अगर सर पर दुआएं होंगी इनकी
आगे तरक्की करोगे तुम, बस बात ये सुन लो मेरी
चाहते हो कामयाबी चूमे तुम्हारे कदम
इनको कभी ना भूलना तुम ।।