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Vishwa Priya

Inspirational

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Vishwa Priya

Inspirational

नारी

नारी

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नारी तुम झुकना मत

कभी अहम

तो कभी वहम के आगे

तुम बढ़ना और बढ़ते रहना।



तुमसे ही सृष्टि चलती है

तुमसे ही अनंत तक आकाश है।

तुमसे है शक्ति और तुमसे ही है भक्ति ,

देवी हो तुम 

क्योंकि तुमसे ही जग का प्रकाश है।


जब मां हो तब घर की ज़मीन बन जाती हो,

बहन बन घर का बगीचा,

बेटी बन उस बगीचे का फूल,

तो कभी दोस्त बन खिड़कियों सी खिलखिलाती हो

नारी तुम घर की नींव हो,

फिर क्यों

कम ही अंकाती हो।


एक स्त्री बन तुमने हर रंग को पूरा किया 

कभी लाल बन सफ़ेद को गुलाबी तो 

कभी पीली बन कालों को भूरा किया।



किसी ओर जब तुम दिखती हो

एक किरण सी चमकती हो 

सन्नाटे के शोर में चूड़ियों सी खनकती हो।


कभी एक हारे हुए का सहारा बन

उसके मन को परखती हो,

तो कभी किसी को जीत दिला कर

तुम हलके से सरकती हो।



तुम कभी कमरे में मोगरे की एक खुशबू सी बिखर जाती हो,

और जब बीमार सा लगता है मन

काढ़े की तुलसी सा असर लाती हो।


सृजन करना ही कला है तुम्हारी

पोषित करना है तुम्हारी आदत में शामिल

नारी तुम नियत बदल दो एक ऐसा जुनून हो 

एक पुरुष को पूरा कर भी तुम स्वयं में संपूर्ण हो।




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