नारी...वीर बलिदानी
नारी...वीर बलिदानी


ओ नारी! नहीं हो तुम बेचारी
बता दे आज दुनिया को सारी
स्त्री से सृष्टि को आकार मिला
ये सृष्टि सदा रहे तेरी आभारी ..
ताक़त रखती हो तुम ख़ुद में
पुरुषों को जनने का
परिवार की शान की ख़ातिर
ज़ुल्मों के सहने का..
दिखला दो दुनिया को तुम भी
स्वाभिमानी हो
अपनी जगह पर कृत्यों की वीर बलिदानी हो..
बेशक पुरुषप्रधान देश है भारत
लेकिन समाज स्त्री से
देश की रक्षा करते हैं पुरुष पर
गृह-आन-बान स्त्री से..
आसान नहीं बेशक दे
श की सीमा की सुरक्षा करना
पर बड़ा मुश्किल है समाज के दुश्मनों से लड़ना..
तुच्छ मानसिकता को इस समाज से पृथक करना है
ओ नारी! तुझे ख़ुद के अधिकार हेतु आगे बढ़ाना है..
एक स्त्री प्रेम दया करुणा और त्याग की मूरत है
अब परिवर्तन हेतु कुर्बानी की बड़ी जरूरत है..
सबको बता दो स्वतंत्रता समता की तुम दीवानी हो
ग़र ख़ुद पर आ जाओ तो ख़ुद में झाँसी की रानी हो..
हे नारी! दिखला दे तू भी स्वाभिमानी है
हक़ हेतु जरूरी क़ुरबानी है
स्त्री! तू वीर बलिदानी है!