नारी-प्यारी
नारी-प्यारी


जब घर में,
सुनी किलकारी।
दायी बोली,
बिटिया हुई प्यारी।
कोई कहें लक्ष्मी,
कोई कहें परी।
तुतलाते उसके बोल,
लगते बड़े अनमोल।
उसके पायल की छम छम,
मधुर कर देती घर आंगन।
तुतलाते बोलो के,
बदलते हैं स्वर।
सौंदर्य की चर्चा,
होती हैं चारों ओर।
कोई कहें अप्सरा,
कोई कहें रुप की रानी।
रुप की भी बनती हैं,
अजर अमर कहानी।
कभी रेखा, जया, ऐश्वर्या,
कभी रन चंडीका,
कभी झाँसी की रानी।
सुखी संसार, सुखी स्वर
भार्या बनकर बने,
रिश्तों की कहानी।
ननद ,भाभी, चाची, जेठानी
"माँ" बनकर,
सुनाती लोरीयां- कहानी।
जानी-अनजानी,
सदियों पुरानी।
कहानी में होता हैं,
गुड्डा-गुडिया
राजा- रानी ,
दादी माँ बुढ़िया
साथ में वही,
बचपन के तुतलाते बोल
नारी के जीवन की,
कहानी हैं अनमोल ..
कहानी हैं अनमोल ...