नारी नाम उपासना का
नारी नाम उपासना का
नारायण ने भी नारी का स्वरूप रचा,
इस जीवन की संरचना के लिए यह रूप रचा,
हर स्वरूप में ममता का एक रूप दिया।
माँ की ममता, प्रियतम की प्रियसी,
दादी की दीक्षा, दीदी का दुलार दिया,
हर स्वरूप में संरक्षण को एक नाम दिया।
नारी से जीवन की उत्पत्ति,
नारी को संचय का आधार दिया ।
ब्रमचारणी से काली तक का नाम दिया,
हर रूप में शक्ति का संचार किया,
हर रूप को पूजे जाना का अधिकार दिया,
शक्ति को शक्ति पीठो में प्रज्वलित
कर इस जीवन का आधार दिया।
सत सत नमन करूँ उस शक्ति को
जिसने मुझ में जीवन का आधार दिया,
इस नारी दिवस पर मैं नमन करूँ,
उस शक्ति को जो आधार है इस श्रिष्टि का।
माँ कहूँ या ममता का आधार,
अर्धांगिनी कहूँ या जीवन का आधार,
बहन कहूँ या दुलार का आधार,
बेटी कहूँ या अपने स्वरूप का आधार।
हर रूप जो मेरे जीवन का आधार है,
मेरे जीवन का एक संचार है,
नमन करूँ कोटि कोटि इस आधार
को जो संचय है मेरे रोम रोम में।