नारी की उड़ान
नारी की उड़ान
औरत हूँ औरत के दर्द को
समझना चाहती हूँ।
औरत के साथ हो रहे हर जुल्म को
खत्म करना चाहती हूँ।
नारी में जो शक्ति है वो दुनिया को
दिखाना चाहती हूँ।
अपने अंदर छिपी नारी शक्ति को
जगाना चाहती हूँ।
हर टूटे दिल के तार को
जोड़ना चाहती हूँ।
हर एक कदम को आगे
बढ़ाना चाहती हूँ।
दिल के दर्द को अश्रु में
बहाना चाहती हूँ।
फिर भी भीगी पलकों को सबसे
छिपाना चाहती हूँ।
हर एक राह को मंजिल की ओर
मोड़ देना चाहती हूँ।
मैं अपनो की हर एक पल को खुशियों से
भर देना चाहती हूँ।
हर एक मुसीबत को
मात देना चाहती हूँ।
कलम की ताकत को कागज पे
उतारना चाहती हूँ।
नया इतिहास रचाकर खुद इतिहास
लिखना चाहती हूँ।
जो आज तक किसी ने पाया न हो ऐसी मंजिल को
पाना चाहती हूँ।
सपनों की उड़ान को हकीकत में
बदलना चाहती हूँ।
हर नाकामयाब कोशिश को सीढ़ी बनाकर कामयाबी
हासिल करना चाहती हूँ।
