नारी का अर्थ
नारी का अर्थ


प्रेम का साया हम नहीं जानते
दर्द का दया और जीत-हार का मिसाल भी हम नहीं जानते
नूर- सौंदर्य, जादू- जन्नत भी हम नहीं जानते
देवी-काली अलग है या समान, ये भी हम नहीं जानते
बेटी, बहन, मां, पत्नी अलग है या समान ये भी हम नहीं जानते
सब कुछ जानते हुए भी हम कुछ नहीं जानते
नारी ना कुछ जानते हुए भी सब जानती
अटल अमर है नारी
सबसे खास और अलग है नारी
धरती पर नारी ना होती तो यहां क्या होता
पेड़ तो बड़े हो जाते पर फल ना खिलता
जान तो सब में होता पर जन्नत ना मिलता
शांत तो सब होते पर मिठास किस में झलकता
नारी का अर्थ नारी में ही झलकता।