नारी ही नारी की दुश्मन
नारी ही नारी की दुश्मन
नारी ही बन बैठी दुश्मन अपनी ही प्रजाति की।
चूल्हा चौका और समर्पण बस रीत यही अपनाने की
नारी ने ही तो नारी को बना दिया कमजोर है
साथ अगर देती नारी तो वही नारी घनघोर है
इस समाज ने तो नारी को समझ लिया खिलवाड़ है
तभी बलात्कार होते सड़कों पर दिन ही दिनों अपार है
