नाग पंचमी
नाग पंचमी
श्रावणमास पंचमी तिथि
शुक्लपक्ष में सदियों से
नागपंचमी पूजा होती
घर को गोबर से लीपते
पूड़ी पकवान बनते,
बड़े उत्साह से
कच्चे दूध में गंगाजल चीनी
भीगे चने धान के लावा संग
नागों की पूजा के लिए
बिलों/बाँबी के मुँहाने रख
नागों की पूजा करते।
मान्यताएं जो अब
विडंबनाएं हो गई,
नागों के दर्शन की परंपरा भी
महज औपचारिकता भर रह गई।
नागों पर भी हमारा कहर टूटा है
हमारी खुदगर्जी के कोप से
भला कौन छूटा है।
नाग भी बस कहीं
दिख जायें
सिर्फ़ अपवाद ही है,
नागपंचमी की पूजा भी
औपचारिकताओं की लिस्ट में
बस महज बना एक अध्याय है।
आखिर नागदेवता भी तो
मानवों से हारे हैं,
उनके सुरक्षित रहने के
बचे ही कितने सहारे हैं,
तभी तो नागों के चित्र भी
कागज में बना दरवाजों पर
हमनें उकारे हैं।
बड़े गर्व से नागपंचमी मनाते
महादेव के गले की शोभा नागदेवता
हमें आज के दिन
लगते बड़े प्यारे हैं,
मगर उनके दर्शन अब तो जैसे
किताबों, पोस्टरों और
सोशल मीडिया के सहारे हैं।