STORYMIRROR

Kishan Kaushik

Abstract

3  

Kishan Kaushik

Abstract

ना पुछे… कोइ हमसे…

ना पुछे… कोइ हमसे…

2 mins
238

ना पुछे… कोइ हमसे… क्या-क्या हम....

इस दिल में… अरमान लिये बैठे हैं|

इश्क का तो कतरा भी ना संभले…

फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं।।

जान से ज्यादा तुमको यार

हर पल किया है मैंने प्यार

मासूम से मेरे उस दिल के

टुकड़े तूने किये हजार

जिस दिल में.. तुमको हम …

मेरी जान लिये बैठे हैं|

इश्क का तो कतरा भी ना संभले…

फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं।।

हंस के आँख सी मार गयी

लूट के चैन - करार गयी

क़त्ल कर गयी रे जालिम

कर बिन चाकू-तलवार गयी

अजी हम तो .. सब अपना.

हरे राम किए बैठे हैं

इश्क का तो कतरा भी ना संभले…

फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं।।

बदले एक बदले लिए हजार

गजब थी वो सौदागर यार

मुफ्त में लूट लिया सब कुछ

ऐसा किया उसने व्यापार

ऊपर से... हम दिल ये .. ईनाम दिए बैठे हैं

इश्क का तो कतरा भी ना संभले…

फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं।।

तू कर ले लाख सितम

हमपे जो चाहे कर ले जुल्म हमपे

चाहे दे सारी उम्र का गम

इल्जाम न कोई होगा तुमपे

अजी हम तो… इनका भी…

एहसान लिए बैठे हैं|

​इश्क का तो कतरा भी ना संभले…

फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं।।

क्या पाना है क्या खोना है

सब मिट्टी है सब सोना है

जो चाहे जिसका हो जाये

हमको तो बस तेरा होना है

अजी हम तो… जीवन ही…

तेरे नाम किए बैठे हैं|

इश्क का तो कतरा भी ना संभले…

फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं।।

क्या घबराना क्यूं है छुपाना

बोलकर लेकिन क्यूं बताना

खुद ही देखो खुद ही समझो

क्या होता है जब हो दीवाना

अजी हम तो… जख्मों को…

सरेआम लिये बैठे हैं

इश्क का तो कतरा भी ना संभले

फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं।।

ना घर है ना है घरवाली

ना बाहर कोइ बाहरवाली

सुनसान पड़ा घर-बार मेरा

यहां तक के दिल भी खाली

देखो फिर भी बेवफा का…

इल्जाम लिए बैठे हैं|

इश्क का तो कतरा भी ना संभले…

फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं।।

समझ के दिलबर अपने को

सच कर दे मेरे सपने को

ली मन से मनको की माला

तेरे नाम की जपने को

अजी हम तो... .तुमको ही..

भगवान किये बैठे हैं

इश्क का तो कतरा भी ना संभले…

फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं।।

तेरी-मेरी एक फोटू को

लाईक मिले बड़े हॉटू को

कहा तुझे है क्यूट बड़ी

और मुझे बताया मोटू सो

राधे-कृष्ण.. कहे कोई...

कोई सिया-राम कहे बैठे हैं

इश्क का तो कतरा भी ना संभले…

फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं।।

ना मिली वो तो भी क्या होगा

जी सकूँ मै खा के भी धोखा

फ़िक्र मुझे तो बस इतनी

ना जाने उसका क्या होगा

वो भी तो .. भई दिल में...

सलमान लिये बैठे हैं

इश्क का तो कतरा भी ना संभले…

फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं।।

ना पुछे… कोइ हमसे… ना पुछे…

कोइ हमसे… ना पुछे… कोइ हमसे…



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract