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न वो आये

न वो आये

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न वो आये न उनकी कोई खबर आयी

घुट घुट कर जी रहे थे हम

इंतजार मे जिनके

सरहदों मे लड़ रहे थे वो

भारत माता की आबरू के लिए

बूढ़ी माँ की आस जुड़ी थी उसके

उस जवान बेटे से

वो लड़ रहा था दुश्मनों से देश की मिट्टी के लिए

बीत गए कई दिन चिट्ठी ना कोई

संदेश जाने वो कौन सा देश

जहां वो चले गए

एक रोज़ दरवाज़े पर कोई दस्तक लेकर आया

हमने देखा तो तिरंगे मे लिपटा हुआ उनका

शव आया ।


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