मुक्तक
मुक्तक
मुक्तक
फूलों की भी क्या फितरत है, हर दम मुस्कुराते हैं
खुद भी महकते हैं और दूसरों को भी महकाते हैं
ऐसा अनुपम गुण केवल फूल का ही होता है जो
उसे तोड़ने वाले हाथों को भी खुशबू से भर जाते हैं
मुक्तक
फूलों की भी क्या फितरत है, हर दम मुस्कुराते हैं
खुद भी महकते हैं और दूसरों को भी महकाते हैं
ऐसा अनुपम गुण केवल फूल का ही होता है जो
उसे तोड़ने वाले हाथों को भी खुशबू से भर जाते हैं