मोहब्बत
मोहब्बत
बहना जरा डूब-डूबकर, ये अथाह वफ़ा का समंदर है ।
फूल भी महकना जरा संभल-संभलकर, खुशबू में शराब-ओ-शबाब का असर है ।
नजरों को रखना यहां जरा दूर-दूर, नजदिकियों में भी खींचने का हुनर है ।
वादियों में हैं दफ्न राज आशिकों के मगर, मोहब्बत यहां की समसामयिक खबर है।
गुजरना यहां से जरा रुक-रुककर, ये वही नई-पुरानी यादों का शहर है।

