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Rajesh Katre

Romance

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Rajesh Katre

Romance

मोहब्बत

मोहब्बत

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बहना जरा डूब-डूबकर, ये अथाह वफ़ा का समंदर है ।

फूल भी महकना जरा संभल-संभलकर, खुशबू में शराब-ओ-शबाब का असर है ।

नजरों को रखना यहां जरा दूर-दूर, नजदिकियों में भी खींचने का हुनर है ।

वादियों में हैं दफ्न राज आशिकों के मगर, मोहब्बत यहां की समसामयिक खबर है।

गुजरना यहां से जरा रुक-रुककर, ये वही नई-पुरानी यादों का शहर है। 



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