अलबेली वर्षा
अलबेली वर्षा
मन का आँगन हुआ सुहाना
आई वर्षा, आया सावन महीना
रंग-बिरंगे सपनों संग हरियाली
बिखरी धरती पर छटा मतवाली।
भीगी-भीगी पवन मस्त रुहानी
बलखाते केशों को बिखराती
जैसे घन रोकते रजनीश रौशनी
लटें ढक लेती उसकी शक्ल सुहानी।
झूमती काली घनघोर घटायें
उसके चंचल मन की व्यथा कहें
इस मौसम में आंधी संग है बरखा
देती है प्रेमातुर हृदय को यंत्रणा।
घन गरज रहे गड़गड़-गड़गड़
ध्वनि बढ़ा रही मन की उलझन
वायु के झौंके रंग इंद्रधनुष में भरते
जवाँ दिलों में दहकाते शोले।
रिमझिम बारिश और ये बिजलियां
उसकी तेज चाल और तंग गलियां
जैसे जल में बहती आशाओं की नैया
देख गति की थिरकन वो लगे खेवईया।
वर्षा की ये हल्की-हल्की शीतल फुहार
तन को आभास कराती प्यारा सा दुलार
खेतों-नदियों में कलकल जल की सरगम
ये है ऋतु अलबेली देखें चक्षु दृश्य मनोरम।
