मोहब्बत मुझे तू कभी समझ नहीं आया
मोहब्बत मुझे तू कभी समझ नहीं आया
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मोहब्बत मुझे तू कभी समझ नहीं आया।
कोशिश की थी मैंने भी , मगर कोई समझा ना पाया।
मोहब्बत , मुझे तू कभी समझ नहीं आया।।
यूं तो अक्सर कई नगमे सुनता हूं मैं , हर रोज़ किसी के यादों में ,
पर किसी के लिए नगमों को गुनगुना ना पाया
मोहब्बत मुझे ........
आसमान पर कई बादल दिखते है मुझे अक्सर
वो बरसन के लिए तैयार है , मगर वो कभी बरसना पाया।
मोहब्बत मुझे तू......
ज़िन्दगी की सच्चाई है दोस्तों , मिलके बिछडो
बिछड़ के मिलो , मगर बिछड़ कर उससे दुबारा कभी मिल ना पाया
मोहब्बत , मैं तुझे कभी समझ ना पाया।।