मन
मन
मन
बहुत ही
चंचल है
नहीं
ठहरता है
एक
जगह पर,
पलपल
ठौर
बदलता है
दौड़ते
रहता है
सभी
दिशाओं में
बिन
मतलब के,
एक जगह
उसका
ठिकाना
नहीं है,
प्रेम भी
मन को
बांध
नहीं
पाता है,
सयंम
करना
चाहूं तो
संयम
नहीं
हो पाता है,
मन
पूरे
वेग से
भागते
रहता है.
मन
बहुत ही
चंचल है
नहीं
ठहरता है
एक
जगह पर,
पलपल
ठौर
बदलता है
दौड़ते
रहता है
सभी
दिशाओं में
बिन
मतलब के,
एक जगह
उसका
ठिकाना
नहीं है,
प्रेम भी
मन को
बांध
नहीं
पाता है,
सयंम
करना
चाहूं तो
संयम
नहीं
हो पाता है,
मन
पूरे
वेग से
भागते
रहता है.