शुन्य हीं सत्य है
शुन्य हीं सत्य है
जीवन
क्या
है
कुछ
नहीं
है
सच
में
जीवन
कुछ
भी
तो
नहीं
हैं
अगर
गंभीरता
से
सोचे
तो
इस
जीवन
में
क्या
खोया
क्या
पाया
जो
खोया
वो
तो
खो
चुका
जो
पाया
वो
भी
अपना
न
है
सिर्फ
उसका
भोग
किए
उपभोग
किए
हैं
ये
भोग
उपभोग
भी
सत्य
नहीं
है
यह
एक
कटु
शाश्वत
सत्य
है
यह
आनंद
सुख
गुस्सा
तड़प
दुख
यह
सब
अनुभूतियों
में
है
अनुभवों
में
है
यह
जीवन
खत्म
सबकुछ
खत्म
ना
सपने
ना
यादें
कुछ
भी
सत्य
नहीं
कुछ
भी
शेष
नहीं
सब
शून्य
सा
यह
शुन्य
ही
सत्य
है।