मन कीट पतंगा
मन कीट पतंगा
जीवन एक कटी पतंग
मन कीट पतंगा
साथ छोड़ता हर पल
सांस मांगकर बैठे है
जीवन एक कटी पतंग
स्वप्नों की ओझल दुनिया में
मीत न माँगो
प्रीत न माँगो
मन कीट पतंगा
धमाचौकड़ी करते बिता
बचपन की किलकारी
अब सो गया बचपन प्यारा
बची बस अंधियारी
मन कीट पतंगा
अब का बचपन अब न पूछो
खो गया अब सारा
अब न कोई चिड़िया उड़ता
न कोई फव्वारा
मन मेरा कीट पतंगा
उड़ उड़ जावे
ठहर न पावे
मन कीट पतंगा।
