कुछ खुशी कुछ उदासी।
कुछ खुशी कुछ उदासी।
मां ने सुबह सुबह उठाया,
नहाया धुलाया,
नये कपड़े पहनाए,
फिर मंदिर लेकर आई,
पंडित जी से,
पुजा करवाई,
आशीर्वाद देने को कहा,
बोला " आज ये पहली बार स्कूल चला।"
पिता जी ने,
एक हाथ में बैग उठाया,
दूसरे हाथ उंगली से,
मुझे लगाया,
और स्कूल की ओर,
चल दिए।
प्रधानाचार्य से मिले,
उसने मुझसे,
बातचीत की,
फिर फार्म भरवाया,
और मुझे,
मेरी क्लास टीचर से मिलवाया।
फिर हम तीनों पहुंचे,
क्लास में,
पिताजी ने,
चौकलेट का डिब्बा,
दिया मैडम को,
और बोले,
आज मेरे बेटे का पहला दिन,
बांट दीजिए,
कुछ मीठा,
सब बच्चों में,
फिर पिता जी ने,
मुझे प्यार से गले लगाया,
और बोले अब तुम,
क्लास में बैठो,
और मैं चलूं,
मैं घबरा गया,
रोई सुरत बनाकर बोला,
मैं भी चलूंगा,
लेकिन मैडम ने,
एक सीनियर बच्चे को बुलाया,
मेरा परिचय उसके साथ करवाया,
असल में,
वो मेरे घर के पास रहता था,
बोला "अगर हो कोई दिक्कत",
तो तुरंत मुझे बताना,
मेरा थोड़ा हौसला बढ़ा,
एक लड़के ने,
मुझे अपने साथ,
बैंच पर सीट दी,
इस तरह से,
मेरी पहली स्कूल की याद थी।