STORYMIRROR

nutan sharma

Others Children

4  

nutan sharma

Others Children

चिढ़ाने लगा बचपना

चिढ़ाने लगा बचपना

1 min
390

जब कदम रखा जवानी की दहलीज पे तो।

ठहाके लगा लगा के चिढ़ाने लगा बचपना।


खेल जो थे सारे मेरे मिट्टी और खिलौनों में।

अब वो दिन कैसे आएंगे ये बताने लगा बचपना।।


बोला अब फिकर क्या है, तुम ही तो ये सोचते थे।

जवानी की तो बात है निराली, कह के रुलाने लगा बचपना।


जैसे मैं गुजर गया बात ही बातों में।

अब ऐसे ही बीत जायेगी ये बताने लगा बचपना।


वक्त जो भी बीत रहा, नौकरी और चाकरी में।

इसी नौकरशाही में जायेगी, ये जताने लगा बचपना।


मेरे जो दिन थे, वो मस्ती मजाक के थे।

अब कैसे गुजारोगे सिखाने लगा बचपना।


यूं ही तेरा मेरा करने में ये भी वक्त सारा जायेगा।

अब ले ले प्रभु का नाम, सब मेरी गलतियों को गिनाने लगा बचपना।



Rate this content
Log in