मन की सुंदरता
मन की सुंदरता
खूबसूरती का मतलब
नहीं होती सुंदरता
किसी के भी शरीर में।
ये बस भ्रम है
अपने अपने मन का।
यदि होता शरीर सुंदर
तो कृष्ण तो सांवले थे।
पर फिर भी वो सभी की
आंखों के तारे थे।।
क्योंकि सुंदर होते है
उसके कर्म और विचारो में।
तभी तो लोग उसके प्रति
आकर्षित होकर आते है।
वह अपनी वाणी व्यवहार
और चरित्र से जाना जाता है।
तभी तो लोग उसे
अपना आदर्श बना लेते है।।
जो अर्जित किया उसने
अपने गुरुओं से ज्ञान।
वही ज्ञान को वो
सुनता है दुनिया को।
जिससे होता है एक
सभ्य समाज का निर्माण।
फिर हर शख्स को ये दुनिया,
सुंदर लगाने लगती है।
इसलिए संजय कहता है,
जमाने के लोगों से।
सुंदर शरीर नहीं होता
सुंदर होते है उसके संस्कार।।
मन से सुंदर।